Luke 19:11-27

दस ठन सोन के सिक्‍का के पटं‍तर

(मत्ती 25:14-30)

11जब मनखेमन ए बात ला सुनत रहंय, तब यीसू ह ओमन ला एक पटं‍तर कहिस, काबरकि ओह यरूसलेम सहर के लकठा म हबर गे रिहिस अऊ मनखेमन सोचत रहंय कि परमेसर के राज ह तुरते सुरू होवइया हवय। 12एकरसेति ओह कहिस, “एक ऊंच कुल के मनखे ह एक बहुंत दूरिहा देस ला गीस कि ओह उहां राजपद पावय अऊ फेर लहुंटके आवय। 13जाय के पहिली, ओह अपन दस झन सेवक ला बलाईस अऊ ओमन ला दस ठन सोन के सिक्‍का देके कहिस, ‘मोर वापिस लहुंटत तक ए पईसा ले लेन-देन करत रहव।’

14पर ओ देस के मनखेमन ओला बिलकुल ही पसंद नइं करत रिहिन, एकरसेति ओमन कुछू झन ला ओकर पाछू ए कहे बर पठोईन, ‘हमन नइं चाहत हवन कि ए मनखे ह हमर राजा बनय।’

15तभो ले, ओह राजा बनाय गीस अऊ फेर घर लहुंटिस। तब ओह जऊन सेवकमन ला पईसा दे रिहिस, ओमन ला बलाईस अऊ ए जाने चाहिस कि ओमन कतेक कमाय हवंय।

16पहिली सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सोन के सिक्‍का ले मेंह दस ठन अऊ सोन के सिक्‍का कमाय हवंव।’

17ओकर मालिक ह कहिस, ‘बहुंत बने करय। तेंह बने सेवक अस, काबरकि तेंह थोरकन चीज म ईमानदार रहय, मेंह तोला दस ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’

18दूसरा सेवक ह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तोर दिये सिक्‍का ले मेंह पांच ठन अऊ सोन के सिक्‍का कमाय हवंव।’

19ओकर मालिक ह कहिस, ‘मेंह तोला पांच ठन सहर के अधिकारी बनावत हंव।’

20तब एक दूसर सेवक आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, ए हवय तोर सोन के सिक्‍का, मेंह एला एक ठन कपड़ा के टुकड़ा म छुपा के रखे रहेंव। 21मेंह तोर ले डरत रहेंव, काबरकि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह ओला ले लेथस, जऊन ह तोर नो हय, अऊ जऊन ला तेंह नइं बोय रहस, ओला लूथस।’

22ओकर मालिक ह कहिस, ‘हे दुस्‍ट सेवक! मेंह तोर नियाय तोर कहे बचन के मुताबिक करहूं। तेंह जानत रहय कि मेंह एक कठोर मनखे अंव; मेंह ओला ले लेथंव, जऊन ह मोर नो हय, अऊ ओला लू लेथंव, जऊन ला मेंह नइं बोय रहंव। 23तब तेंह मोर पईसा ला बैंक म काबर जमा नइं कर देवय, ताकि वापिस आके मेंह एला बियाज सहित ले लेतेंव?’

24तब जऊन मन उहां ठाढ़े रिहिन, ओमन ला ओह कहिस, ‘एकर ले सोन के सिक्‍का ला ले लेवव अऊ एला ओ सेवक ला दे देवव, जेकर करा दस ठन सिक्‍का हवय।’ 25ओमन कहिन, ‘हे मालिक, ओकर करा तो आघू ले दस ठन सिक्‍का हवय।’

26ओह जबाब देवत कहिस, ‘मेंह तुमन ले कहत हंव कि हर एक झन जेकर करा हवय, ओला अऊ दिये जाही, पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओ चीज घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा बांचे हवय। 27पर मोर ओ बईरीमन ला इहां लानव, जऊन मन नइं चाहत रिहिन कि मेंह ओमन के राजा बनंव अऊ ओमन ला मोर आघू म मार डारव।’ ”

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